लेखक अरुण कुमार त्रिपाठी
श्री अरुण कुमार त्रिपाठी, जिनके पिता महान स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय राम प्रसाद तिवारी हमीरपुर जनपद से थे। अरुण कुमार त्रिपाठी 20 मई 1951 को हमीरपुर में जन्मे थे। उन्होंने सरकारी इंटर कॉलेज हमीरपुर से शिक्षा ली, फिर विक्रम जीत सिंह सनातन धर्म कॉलेज, कानपुर विश्वविद्यालय से बीएससी, एलएलबी प्राप्त की। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार में लगभग 35 वर्ष सेवा करने के बाद 2011 में सामाजिक उपक्रमों और धार्मिक कार्यों में समय बिताते हुए सेवानिवृत्त हो गए।
उन्हें भारतीय आइकन अवॉर्ड्स द्वारा वर्ष 2022 के सर्वश्रेष्ठ धार्मिक लेखक का पुरस्कार दिया गया है। श्री अरुण कुमार त्रिपाठी, सेवानिवृत्त वाणिज्य उपायुक्त, अपना समय धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में बिता रहे हैं। उन्होंने अब तक धार्मिक प्रकृति की 5 किताबें लिखी हैं: 1- रामचरित मानस का कवचित अन्य, 2- आद्यात्म गीता, 3- रण विजय अभियान, 4- नवधा रामायण, 5- मेरी रामायण ।
प्रेरणा
हमारे घर का वातावरण पूर्णता धार्मिक और संस्कारी है। हमारी माता प्रत्येक धार्मिक दत्त और त्यौहार को अनुष्ठान सहित मनाती थी और पिताजी एक कर्तव्यनिष्ठ धार्मिक व्यक्ति थे जो अक्सर गीता का अध्ययन और रामचरितमानस का पूरा या दैनिक पाठ करते थे। ऐसे माहौल में रामचरितमानस का अध्ययन करने की प्रवृति मेरी भी हो गई और मैं सुंदरकांड का पाठ प्रतिदिन करता था और इसीलिए सुंदरकांड मुझे पूरी तरह से याद हो गया था। एवं इसका पाठ करते समय दो तीन प्रसंगों पर मैं रुक कर विचार करता था ।
रामचरितमानस में और अन्य धार्मिक ग्रंथों में साधु संतों के विशेषता में ज्ञानी, भक्ति, यम, नियम, देव आदि अनेक विशेषण आते हैं लेकिन विज्ञान निधान कृ प्रायः नहीं आता है। यहां पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान जी के लिए विज्ञान में निधाना बताया है। विज्ञान के विद्यार्थी होने के नाते मैं इस विज्ञान को भी अपने विज्ञान से जोड़ने लगा और मैंने विचार किया कि जरूर हनुमान जी ने कोई ऐसे कार्य किए हैं जहां विज्ञान की उपयोगिता होती होगी |
पुस्तक के बारे में
गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने रामचरितमानस की रचना करके मानवता के लिए बड़ा कर्म किया है। उसमें भी सुंदरकांड वास्तव में तुरंत परिणाम देने वाला प्रसंग है, जो वैज्ञानिक तत्वों से भरपूर है। इस पुस्तक 'वैज्ञानिक सुंदरकांड' में यह कोशिश की गई है कि तुलसीदास जी का यह काम वैज्ञानिक परीक्षण पर भी सत्य सिद्ध होता है। उनके हनुमान जी वैज्ञानिक तत्वों पर आधारित हैं, यह सब कैसे है, अगर आप इसे समझना चाहते हैं तो रामचरितमानस पढ़ें, अगर संक्षेप में पढ़ना चाहते हैं तो सुंदरकांड पढ़ें, अगर वैज्ञानिक रूप से पढ़ना चाहते हैं तो इस पुस्तक 'वैज्ञानिक सुंदरकांड' को पढ़ें।